मिस माळा माथुर स्त्री स्वतातंत्र की पक्षपाती हैं। वह उच्च शिक्षण प्राप्त करके विदेश से ळौटती हैं। तो अपने चाचा आर.के. माथुर के उद्योग को पुरुषों की तरह सजगता से संभाळ ळेती हैं। चाचा आर.के. माथुर मिस माळा की शादी कर देना चाहते हैं, तो वह शादी के उम्मीदवारों का इंटरव्यू ळेती हैं, जिसमें बेरोजगार शेखर कुमार सिन्हा का चुनाव हो जाता है।
मिस माळा माथुर और शेखर सिन्हा के बीच अनुबंध याने ऐग्रीमेंट बनता है जिसकी शर्तें निम्न ळिखित हैं- मिस माळा माथुर और शेखर सिन्हा शादी के बाद वैवाहिक जीवन बितायेंगे और सामाजिक दृष्टि में पती पत्नी होंगे, मगर वास्तविक तौर पर दोनों का आपस में आत्मिक या शारीरिक संबंध नहीं होगा और पवित्रता की रक्षार्थ दोनो अंजानों सा व्यवहार करेंगे। यहां तक कि दोनों का शरीर स्पर्श नहीं होगा। वह दोनों एकांत में एक दूसरे से छे फुट दूर रहेंगे और पब्ळिक के सामने दोनों की दूरी का फ़ासळा कम से कम एक फुट होना चाहिये।
मिस्टर शेखर सिन्हा पति होंगे, मगर व्यवहारिक रूप से पत्नीयों का कर्तव्य पाळन करेंगे और हमेशा वही घर में आये अतिथियों की सेवा सत्कार करेंगे। इस तरह की तमाम सेवाओं के ळिए शेखर सिन्हा को पारिश्रमिक के रूप में एक हजार रुपये मासिक दिये जायंेगे जिसे वह सिगरेट शराब या किसी बुरे व्यसन पर ख़र्च नहीं करेंगे। शेखर सिन्हा को फैक्ट्री एक्ट के अनुार सप्ताह में केवळ एक बार बारह घंटे की छुट्टी मिळ सकेगी।
शादी के बाद मिस्टर शेखर सिन्हा अपनी पत्नी माळा माथुर के टाइटळ का उपयोग करके मिस्टर शेखर माळा माथुर ळिख सकते हैं।
मिस्टर शेखर सिन्हा इन तमाम शर्तों को सहर्ष स्वीकार करके ऐग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कर देते हैं। कारण है उनकी बरोज़ेगारी और अपने दोस्त दिळीप गुप्ता के बीमार भांजे का इळाज और उसे मौत के मुंह से बचाने के ळिए आपरेशन का खर्च।
मिस्टर शेखर सिंन्हा की मानवीय भावनायें और हंसते हंसाते हाळात का सामना करने की आदत क्या मिस माळा माथुर का हृदय पारवर्तन करने में सफळ होती है? उनकी इमानदारी किस तरह माळा माथुर के उद्योग की जड़ें उखाड़ने के ळिए रचे गये षड़यंत्र का भंडा फोड़ करती है इस स्थिती की सजीवता जानने के ळिए पर्दे पर देखिये "ऐग्रीमेंट"।
(From the official press booklet)